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कोविड-19! निष्कर्ष ! अतार्किक, अविवेक पूर्ण एवं परस्पर विरोधाभासी! परंतु सत्यता के निकट! :राजीव खंडेलवाल

  ( लेखक कर सलाहकार एवं पूर्व नगर सुधार न्यास अध्यक्ष हैं )              कोरोनावायरस संक्रमण काल से एक दो चीजें अच्छी और बुरी दोनों उभर के सामने आई हैं। उस पर भी आपके ध्यान देने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम " जानलेवा परसेप्शन ".      ( अनुभूति ) के साथ फैल रही कोरोनावायरस के बावजूद   कालाबाजारी करने वाले लोग भी इस   आपदा काल में भी   प्रधानमंत्री के " आपदा को अवसर " बनाने के " मंत्र " ( जबकि प्रधानमंत्री जी ने " सोउद्देश्य अवसर " की बात कही थी ) का शाब्दिक   अक्षरस : पालन करते हुए दूसरों की जान की परवाह किए बिना यहां भी नहीं चुके हैं। प्रारंभ में कोविड टेस्ट इंजेक्शन , फिर वैक्सीन , रेडमीसेलर इंजेक्शन व अन्य आवश्यक एंटीबायोटिक दवाइयां और अब ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी के साथ एंबुलेंस , टैक्सी , बस भाड़ा मे कई गुना मुनाफाखोरी बढ़ गई है। बाकी अन्य सामान्य कालाबाजारी को ...

अदार पूनावाला , कृष्णा एला, (सीरम एवं भारत बायोटेक) एवं एक मुनाफाखोर में कोई अंतर रह गया है क्या ? राजीव खंडेलवाल

                                                                                   विगत दिवस वैक्सीन की " त्रिस्तरीय कीमत " के " तथाकथित औचित्य " को लेकर लेख लिखा था। देश के कई भागों से भी इन बढ़ी हुई कीमतों का विरोध हुआ था। तथापि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा   ने   वैक्सीन की कीमत के संबंध में राज्य सरकारों को यह अनचाही सलाह जरूर   दे डाली   कि , वे वैक्सीन की कीमत के संबंध में अपने स्तर पर कंपनी से सीधे बातचीत कर ( नेगोशिएट ) कीमत तय करें। आगे उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय सरकार का कोई सीधा संबंध इन कीमतों के निर्धारण ( या पुनर्निर्धारण...